भारतीय महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है ब्रेस्ट कैंसर, और दूसरा है गर्भाशय मुख का कैंसर जिसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है।ब्रेस्ट कैंसर वेस्टर्न वर्ल्ड में बहुत आम है, लेकिन अब यह भारतीय महिलाओं में भी सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर बन गया है। इसके बाद आता है गर्भाशय का कैंसर, जिसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैं।
यह क्यों बढ़ रहा है, इसके कई कारण हैं:
- जीवनशैली में बदलाव: भारतीय महिलाओं की जीवनशैली अब ज्यादा आधुनिक हो गई है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है।
- रिस्क फैक्टर्स: पहले स्त्री होना ही ब्रेस्ट कैंसर का एक बड़ा जोखिम है। उम्र बढ़ने के साथ भी इसका खतरा बढ़ता है। बच्चों की संख्या भी इसका एक कारक है; जिन महिलाओं के कम बच्चे होते हैं या बच्चे नहीं होते, उनमें इसका खतरा ज्यादा रहता है।
- देर से विवाह और देरी से मातृत्व: कामकाजी महिलाओं की विवाह और बच्चे पैदा करने की उम्र बढ़ गई है, जो ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
- स्तनपान न कराना: जो महिलाएं स्तनपान नहीं करातीं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- खानपान और व्यायाम का अभाव: प्रोसेस्ड फूड और प्रिजर्वेटिव्स का ज्यादा सेवन, और व्यायाम की कमी भी ब्रेस्ट कैंसर के कारक हो सकते हैं।
- अनुवांशिक कारक: हमारे जीन्स भी ब्रेस्ट कैंसर के इंसिडेंट पर असर डालते हैं। अगर मां, बहन या मासी को ब्रेस्ट कैंसर रहा है, तो हमें भी इसका खतरा ज्यादा होता है।
ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:
- गांठ: स्तन में गांठ या कठोरता महसूस होना।
- निप्पल से डिस्चार्ज: निप्पल से किसी तरह का डिस्चार्ज आना।
- निप्पल का आकार बदलना: निप्पल का अंदर की तरफ खिंचना।
- स्तन की स्किन का रंग बदलना: स्किन का रंग बदलना या संतरे की त्वचा जैसा दिखना।
अगर ये लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 40 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए डॉक्टर सोनोग्राफी की सलाह देंगे, जबकि 40 साल से ज्यादा की उम्र में मैमोग्राफी कराई जाती है।
रेगुलर चेकअप और स्क्रीनिंग टेस्ट से ब्रेस्ट कैंसर को शुरुआती चरण में पकड़ा जा सकता है और सही समय पर इलाज किया जा सकता है। खुद की मंथली ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना भी जरूरी है। मासिक चक्र खत्म होने के बाद यह एग्जामिनेशन करें और किसी भी बदलाव को नोट करें।